हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिएः सुनील जोगी की प्रसिद्ध कविता

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22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन हो रहा है. इस दिन मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा भी होगी. अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरा देश राममय हो गया है. चहुंओर राम नाम की गूंज है. हर किसी के मुख से राम-राम निकल रहा है. प्रसिद्ध शायर और कवि सुनील जोगी ने भी राम नाम को लेकर बहुत सुंदर गीत लिखा है.

पद्मश्री से सम्मानित कवि सुनील जोगी ने भारतीय परंपरा और संस्कारों को छोड़ पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे लोगों पर अपनी कविता के माध्यम से कटाक्ष किया है. सुनील जोगी का मानना है कि हम अपनी जड़ों को भूलते जा रहे हैं, इस वजह से परिवार और समाज में विघटन आ रहा है. सुनील जोगी ने अपनी कविता में कहा है कि हमें पाश्चात्य संस्कारों के स्थान पर भारतीय संस्कार अपनाने चाहिए. वे कहते हैं-

राम जी के नाम को ना तराजू पे तोलिए
हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिए

खुद ही अपनेआप अपनी संस्कृति मिटा रहे
क्लबों में केक काट कर जन्मदिन मना रहे

गन्ना रस और मट्ठा छोड़ कोक पी रहे हैं हम
पिज्जा-पास्ता मोमोज खा कर जी रहे हैं हम

धीरे-धीरे शतायु से अल्पायु हो लिए
हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिए

चाचा-ताऊ छोड़ अंकल-आंटी में खो गए
पूज्य माता और पिताजी मोम-डेड हो गए

पाश्चात्य सभ्यता समाज में समा गई
नौकरी मिली नहीं कि गर्लफ्रेंड आ गई

कांधे सब पराये हुए हम अकेले रो लिए
हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिए

क्रेडिट कार्ड आ गया तो हम उधार खा रहे
छोड़कर स्वदेशी माल हम चायनीज ला रहे

पड़ोसियों से, भाइयों से बातचीत बंद है
क्योंकि अब फेसबुक-व्हाट्सऐप पसंद है

प्रेम छोड़ कर नफरतें दिल में ना घोलिए
हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिए

शत्रुओं के बीच मित्र राम ने बना लिए
प्रेम था तो भीलनी के झूठे बेर खा लिए

आदिवासियों में प्रेम राम ने उगा दिया
हनुमानजी ने सीना चीर के दिखा दिया

पाप कर रहे या पुण्य खुद को भी टटोलिए
हाय-बाय छोड़कर के राम-राम बोलिए।

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature

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